यंग फिगर के लिए बस्ती क्रिया

बस्ती क्रिया की विधि करने में बहुत ही कठिन लगती है। कुछ लोग इसे करने में संकोच भी करें, लेकिन बस्ती क्रिया में पारंगत होने पर यह बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकती है। योग की शुद्धि क्रियाओं के अंतर्गत नेती, धौती, न्यौली, बस्ती, त्राटक, कपालभाती, धौंकनी, बाधी और शंख प्रक्षालयन आदि क्रियाएँ आती है। यहाँ प्रस्तुत है बस्ती क्रिया के बारे में।

गणेश क्रिया : बस्ती क्रिया के पूर्व गणेश क्रिया का अभ्यास करना जरूरी है। गणेश क्रिया में पारंगत होने के बाद ही व्यक्ति बस्ती क्रिया कर सकता है। गणेश क्रिया में मध्यमा अँगुली में तेल चुपड़कर उसे गुदा मार्ग में सावधानी से डालकर उसे क्लाकवाइज और एंटीक्लाकवाइज घुमाते हैं। उपरोक्त क्रिया से गुदा मार्ग की गंदगी दूर हो जाती है और गुदा संकोच-प्रसार का भी अभ्यास हो जाता है।

बस्ती क्रिया : 
गणेश क्रिया से जब गुदा संकोच और प्रसार का अभ्यास हो जाए तब किसी तालाब में जाकर कमर तक पानी में खड़े होकर घुटने को थोड़ा-सा आगे की ओर मोड़कर दोनों हाथों को घुटनों पर दृढ़ता से जमाकर फिर गुदा मार्ग से पानी ऊपर की ओर खींचे। इसे उड्डीयान बंध लगाना कहते हैं।

जब साधक उड्डीयान खोलता है तो पेट में भरा पानी बड़ी आँत में धीरे-धीरे भरने लगता है। पेट में जब पानी भर जाए तब पेट को थोड़ा इधर-उधर घुमाएँ और फिर पुनः गुदा मार्ग से पूरा पानी निकाल दें। इस क्रिया को बस्ती क्रिया कहते हैं। यह क्रिया टब में बैठकर भी कर सकते हैं।

चेतावनी : 
उक्त दोनों ही क्रिया योग के किसी जानकार व्यक्ति के निर्देशन में ही करना चाहिए। गुदा मार्ग या पेट में किसी भी प्रकार का दर्द या रोग हो तो यह क्रिया नहीं करनी चाहिए। बस्ती क्रिया के बाद आहार संयम जरूरी है। यौगिक आहार का ही चयन करें।

इसके लाभ : 
इसके अभ्यास से पेट सहित संपूर्ण शरीर शुद्ध तो होता ही है साथ ही विशेष रूप से इसे करने से इससे बड़ी आँत, लिंग और गुदा आदि के सभी रोग सर्वथा समाप्त हो जाते हैं। पेट के सदा साफ रहने से चेहरे की कांति बढ़ जाती है तथा व्यक्ति सदा जवान बना रहता है। यंग बने रहने के लिए बस्ती क्रिया करने वाले साधक को प्रतिदिन सात्विक तथासम्यक आहार और ज्यूस का ही प्रयोग करना चाहिए।