योग की पहली पायदान है यम

अष्टांग योग की आठ अवस्थाएं हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। पहली अवस्था है- यम। ईश्वर को प्राप्त करने का एक रास्ता योग है। इस मार्ग से ईश्वर तक पहुंचने वाले  महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग सिद्धांत का पालन करते हैं। यह सिद्धांत बताता है कि हम योग की आठ अवस्थाओं से गुजर कर ही ईश्वर तक पहुंच सकते हैं। 

इसकी पहली अवस्था है- यम।



यम का मतलब शांतियम का अर्थ है शांति। योग करने वाले के चारों तरफ अर्थात अंदर और बाहर शांति का वातावरण होना चाहिए। हमारे जीवन में शांति कैसे आए इसके लिए यम का पालन जरूरी है। यम के पालन में पांच बातों का ध्यान रखा जाता है। पंतजलि ने कहा है-

अहिंसासत्यास्तेय ब्रह्मचर्यपरिग्रहा यमा:। - योगसूत्र २/३क्   

अर्थात- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह ही यम है। इन पांच बातों को जीवन में उतार कर ही हम योग की पहली सीढ़ी चढ़ते हैं।